Tuesday 10 July 2018

कहानियां

एक बार भगवान शिवजी ने एक मनुष्य को अपने पास बुलाया और उससे पूछा-मेने तुम्हारी रचना की है इसलिए मेरा फ़र्ज की मैं तुम्हारी इच्छा भी मालूम करु की तुम क्या चाहते हो?
मनुष्य बोला प्रभु मे उन्नति करना चाहता हूं। सदा सुख और शान्ति से अपना जीवन जीना चाहता हूं। सब लोग मेरा सम्मान करें और मेरी प्रंशसा करे।
शिवजी बोले-यह तो बड़ी खुशी  की बात है। मैं भी ये ही चाहता हु ,कि तुम्हे ये सब मिल जाये। अतः मैं तुम्हें ये दो थैले दे रहा हूं। इसमे एक थैले मे तुम्हारे पड़ोसियों की सारी बुराईयां भरी हुई है, इसको तुम अपनी पीठ पर लाद लो।इस थैले को सदा बंद ही रखना। इसे न तुम देखना और न दूसरों को दिखाना। ओर दूसरे थैले मे तुम्हारे सारे दोष ओर बुराई भरी हुई है। उसे तुम सामने लटका लो और बार- बार  खोल कर देखते जाना साथ मे दुसरो को भी दिखाना। शिव जी ने इतना कह कर दोनो थैली मनुष्य को दे दी। मनुष्य वह दोनों थैले ले कर वहाँ से चल पड़ा।
                 चलते समय रास्ते मे उससे एक भूल हो गयी। उसने अपनी बुराईयों का थैला पीठ पर लाद दिया और उसका मुंह बंद कर दिया । उसके बाद अपने पड़ोसियों की बुराइयों के थैला अपने सामने गले मे लटका दिया। उसका मुंह खोल कर वह रास्ते भर देखता रहा और दूसरों को दिखाता रहा। इससे जो उसने वरदान माँगे थे वो सब उल्टे हो गए। वह अवनति करने लगा। उसे दुख और परेशनी उठानी पड़ी
      सब लोग उसकी प्रशंसा करने की जगह उसे बुरा कहने लगें। उसके जीवन मे अशांति आने लगी।
यह सब देख कर वो  बहुत दुखी हुआ और सोचने लगा कि......मैने शिवजी से उन्नति और सुख शान्ति से रहने की बात की थी, फिर ये सब उल्टा कैसे हो गया? मुझसे ऐसी कौन सी भूल हो गयी है। फिर ये सब सोच कर वो भगवान शिवजी के  पास जा पहुँचा ओर बोला..... ये सब क्या हैं प्रभु! मेने तो आपसे उन्नति और सुख शांति का वरदान मांगा था पर ये सब तो उल्टा हो रहा है ऐसा क्यों? ऐसी मुझ से कौन सी गलती हो गयी जो अपने रुष्ट होकर सब उल्टा कर दिया।
       ये सब सुन कर शिवजी हँसे ओर बोले------- यह सब उल्टा मेने नही किया। बल्कि तुमने स्वयं किया हैं। तुमने अपनी बुराईयों का थैला सामने लटकाने की जगह----उसका मुंह बंद करके अपनी पीठ पर लाद दिया और पड़ोसियों की बुराइयों का थैला पीठ पर लादने की जगह अपने गले मे लटका दिया। बस तुम्हारी इसी गलती से ये सब उल्टा हो गया।
        ये सब सुन कर मनुष्य को अपनी भूल का एहसास हुआ और हाथ जोड़ कर विनती की---आप तो बहुत दयालु है प्रभु! आप मुझ पर दया कीजिए और इस समस्या का निवारण बताईये।
   तब भगवान भोलेनाथ ने कहा...... तुम अपनी भूल सुधार लो तुम्हारी उन्नति होगी।तुम्हे मान सम्मान मिलेगा तुम खुश रहोगे। ये सुन कर मनुष्य ने अपने थैले बदल दिए। उसने अपने पड़ोसियों की बुराइयों का थैला अपनी पीठ पर लाद दिया और अपनी बुराइयों का थैला अपने गले मे लटका दिया। उस दिन से वो बहुत सुखी हो गया।
     शिक्षा------ जो मनुष्य दुसरो की बुराइयों को ढूंढता रहता है और अपनी बुराइयो को छुपाने की कोशिश करता है या अपनी बुराइयों को नही देखता, वो इंसान कभी खुश नही रह सकता, वो हमेशा दुखी और परेशान रहता है।

अगर कहानी अच्छी लगी हो तो एक लाइक ओर एक कमेंट तो जरूर बनता है बॉस।

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