Friday 5 October 2018

खुद को परखें

(1)...मई 2015 में 14वां एशिया सुरक्षा शिखर समेलन कहाँ आयोजित हुआ?
     उत्तर---- सिंगापुर में।

(2)...क्रिकेट इतिहास का पहला डे-नाईट टेस्ट मैच किन देशो के बीच खेला गया?
     उत्तर---- आस्ट्रेलिया ओर न्यूज़ीलैंड।

(3)...विवेकानंद ने शिकागो में आयोजित 'पार्लियामेंट ऑफ वर्ल्ड्स रिलीजन्स' में कब भाग लिया?

      उत्तर--- 1893ई. को।

(4)... गुप्त शासको द्वारा जारी चाँदी के सिक्कों को क्या कहा जाता था?

     उत्तर--- रूपक

(5)....गुप्त काल मे अपनी आयुर्विज्ञान रचना के लिए कौन प्रसिद्ध है?

     उत्तर--- ???????????? ये आप लोग बताये?
     
                धन्यवाद जी।

Thursday 4 October 2018

कम नींद लेने से साइबर सिकनेस का खतरा।

आधुनिक साइबर के युग मे तरह-2 की बीमारियां सामने आ रही है, जिनमें से एक है साइबर सिकनेस। एक शोध में दावा किया गया है कि कम नींद लेने और अस्वस्थ खान पान की वजह से लोग साइबर सिकनेस की चपेट में आ जाते है
               इससे लोगो को कंप्यूटर के सामने बैठने से डर लगने लगता है और चक्र आने लगता है। सिर भी भारी लगने लगता है।
            शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत समेत दुनिया भर में करोड़ो की संख्या में लोग मोबाइल, कंप्यूटर और टेब का इस्तेमाल करते है। ऐसे में साइबर सिकनेस घातक साबित हो सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए कंप्यूटर में बैठने के दौरान बीच-2 पर ब्रेक लेना और पानी से आँखे धोना फायदेमंद साबित हो सकता है।
                धन्यवाद🙋🙋🙋🙋🙋🙋🙋🙋👋👋👋👋

Wednesday 11 July 2018

भोजन और पानी

हेलो दोस्तो कैसे हो यार। लगता है अच्छे ही होंगे। वैसे आज किसी का उपवास तो नही है। क्योंकि आज जो मैं बात करने वाला हूं "भोजन और पानी की"। कभी सोचा है डॉक्टर और आयुर्वेदिक वैध ऐसा क्यों बोलते है कि भोजन के बाद पानी नही पीना चाहिए? ओर साथ मै ये भी बोलते है कि भोजन से पहले पानी पीना अमृत के समान है।
    ★
कहा जाता है कि भोजन से पहले पानी पीना अमृत के समान होता है और भोजन के बाद पानी पीना विष के समान है। अतः भोजन करने के 15 से 20 मिनट के बाद ही पानी पिये। यदि संभव हो तो आधे या एक घंटे बाद पिये।

भोजन के तुरंत  बाद पानी पीना विके समान क्यों? क्या कोई इसका वैज्ञानिक कारण भी है?★★★★★★

       ★    भोजन करने के बाद शरीर में एक प्रकार की गर्मी का अनुभव करते है। क्योंकि अन्न मै गर्मी होती है और वह गर्मी पेट मे भोजन के माध्यम से पहुचती है। जठराग्नि उस भोजन को पचाने के कार्य मै लग जाती है तथा अन्न की गर्मी से उत्पन्न गैस अपने मार्गो से बाहर निकलती हैं। परंतु बाद मे पानी पीने से निकलने वाली गैस पानी की शीतलता से दब जाती है ओर बाद मे अनेक प्रकार के विकार रोगों के रूप मे उत्पन्न होते है।

Tuesday 10 July 2018

आखिर क्यों?

हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब। मुझे लगता है ,खुश होंगे मस्त होंगे यार। वैसे भी आज मैं फिर से आ गया हूं आप लोगो को टेन्शन देने,ऐसा सोचने को मजबूर करने के लिए कि हमे माँस खाना चाहिए या नही?
             वैसे तो आज कल मनुष्य अपने स्वाद के लिये कुछ भी खा लेता हैं । पर बाद मै जब उसे बीमारी घेर लेती है , तब वो सोचता हैं कि मैने ये सब गलत चीजे क्यों खाई। तो बात करते है माँस की।
     जैसा कि आप सब जानते ही होंगे मनुष्य के पास न तो मांसाहारी दाँत है और न ही आँत। कहने का मतलब ये है कि,मनुष्य जाति प्राकृतिक रूप से शाकाहारी है किंतु अपनी जीभ का स्वाद बदलने के लिए लोग मांसाहारी भोजन खाते है। वैसे तो जो जीव जीभ से चिपकाकर पानी पीते है, वास्तव मे माँस का भोजन उनके लिए होता है। इस प्रकृति ने मांस नोचने के लिए उन्हें नुकीले दाँत दिए ओर मांस को पचाने वाली आंत। इसमे कुत्ता,बिल्ली,शेर, बाघ आदि जैसे जीव आते है। वही दूसरी तरफ जो घूँट
-घूँटकर कर पानी पीते है वो शाकाहारी होते हैं । जैसे--- गाय,बंदर, मनुष्य आदि।
     इसलिए जब प्रकृति ने हमे न मांस खाने के लिए नुकीले दांत ओर न मांस पचाने वाली आंत तो हम ये मांस क्यों खाये?
      ये सब आपको सोचना है, वैसे भी मांसाहारी बनने से जीवहत्या को प्रोत्साहन मिलता है। ओर कही पर तो मंदिरों मे जीवहत्या कर के मनुष्य देवी-देवताओं को खुश करते हैं। क्या कभी ऐसा हो सकता है,किसी की बलि लेकर भगवान खुश हो सकते है।
       मुझे लगता है ये हमारी संस्कृति, सभय्ता एवं धर्म के अनुकूल नही है। आप सब को क्या लगता है ?

कहानियां

एक बार भगवान शिवजी ने एक मनुष्य को अपने पास बुलाया और उससे पूछा-मेने तुम्हारी रचना की है इसलिए मेरा फ़र्ज की मैं तुम्हारी इच्छा भी मालूम करु की तुम क्या चाहते हो?
मनुष्य बोला प्रभु मे उन्नति करना चाहता हूं। सदा सुख और शान्ति से अपना जीवन जीना चाहता हूं। सब लोग मेरा सम्मान करें और मेरी प्रंशसा करे।
शिवजी बोले-यह तो बड़ी खुशी  की बात है। मैं भी ये ही चाहता हु ,कि तुम्हे ये सब मिल जाये। अतः मैं तुम्हें ये दो थैले दे रहा हूं। इसमे एक थैले मे तुम्हारे पड़ोसियों की सारी बुराईयां भरी हुई है, इसको तुम अपनी पीठ पर लाद लो।इस थैले को सदा बंद ही रखना। इसे न तुम देखना और न दूसरों को दिखाना। ओर दूसरे थैले मे तुम्हारे सारे दोष ओर बुराई भरी हुई है। उसे तुम सामने लटका लो और बार- बार  खोल कर देखते जाना साथ मे दुसरो को भी दिखाना। शिव जी ने इतना कह कर दोनो थैली मनुष्य को दे दी। मनुष्य वह दोनों थैले ले कर वहाँ से चल पड़ा।
                 चलते समय रास्ते मे उससे एक भूल हो गयी। उसने अपनी बुराईयों का थैला पीठ पर लाद दिया और उसका मुंह बंद कर दिया । उसके बाद अपने पड़ोसियों की बुराइयों के थैला अपने सामने गले मे लटका दिया। उसका मुंह खोल कर वह रास्ते भर देखता रहा और दूसरों को दिखाता रहा। इससे जो उसने वरदान माँगे थे वो सब उल्टे हो गए। वह अवनति करने लगा। उसे दुख और परेशनी उठानी पड़ी
      सब लोग उसकी प्रशंसा करने की जगह उसे बुरा कहने लगें। उसके जीवन मे अशांति आने लगी।
यह सब देख कर वो  बहुत दुखी हुआ और सोचने लगा कि......मैने शिवजी से उन्नति और सुख शान्ति से रहने की बात की थी, फिर ये सब उल्टा कैसे हो गया? मुझसे ऐसी कौन सी भूल हो गयी है। फिर ये सब सोच कर वो भगवान शिवजी के  पास जा पहुँचा ओर बोला..... ये सब क्या हैं प्रभु! मेने तो आपसे उन्नति और सुख शांति का वरदान मांगा था पर ये सब तो उल्टा हो रहा है ऐसा क्यों? ऐसी मुझ से कौन सी गलती हो गयी जो अपने रुष्ट होकर सब उल्टा कर दिया।
       ये सब सुन कर शिवजी हँसे ओर बोले------- यह सब उल्टा मेने नही किया। बल्कि तुमने स्वयं किया हैं। तुमने अपनी बुराईयों का थैला सामने लटकाने की जगह----उसका मुंह बंद करके अपनी पीठ पर लाद दिया और पड़ोसियों की बुराइयों का थैला पीठ पर लादने की जगह अपने गले मे लटका दिया। बस तुम्हारी इसी गलती से ये सब उल्टा हो गया।
        ये सब सुन कर मनुष्य को अपनी भूल का एहसास हुआ और हाथ जोड़ कर विनती की---आप तो बहुत दयालु है प्रभु! आप मुझ पर दया कीजिए और इस समस्या का निवारण बताईये।
   तब भगवान भोलेनाथ ने कहा...... तुम अपनी भूल सुधार लो तुम्हारी उन्नति होगी।तुम्हे मान सम्मान मिलेगा तुम खुश रहोगे। ये सुन कर मनुष्य ने अपने थैले बदल दिए। उसने अपने पड़ोसियों की बुराइयों का थैला अपनी पीठ पर लाद दिया और अपनी बुराइयों का थैला अपने गले मे लटका दिया। उस दिन से वो बहुत सुखी हो गया।
     शिक्षा------ जो मनुष्य दुसरो की बुराइयों को ढूंढता रहता है और अपनी बुराइयो को छुपाने की कोशिश करता है या अपनी बुराइयों को नही देखता, वो इंसान कभी खुश नही रह सकता, वो हमेशा दुखी और परेशान रहता है।

अगर कहानी अच्छी लगी हो तो एक लाइक ओर एक कमेंट तो जरूर बनता है बॉस।

आखिर ऐसा क्यों?

पहले के समय मे लोग अपने पिता को पिताजी कहकर संबोधित करते थे। जैसे-जैसे समय मै बदलाव होता गया लोग फैशन की ओर भागने लगे। इससे पिताजी पापा बन गए और पापा से डैडी(dead) साला फ़ैशन यही नही रुका पिताजी डैडी से सीधा डेड(DEAD) हो गए। 'डेड' होने का मतलब तो आप समझ ही गये होंगे। 'डेड'(DEAD) अंग्रेजी का शब्द है जिसका अर्थ होता हैं  "मर गये '। इसलिये मे अपने उन फैशन के साथ चलने वाले युवा वर्ग को( भाई एवं बहनों) हाथ जोड़ के कहना चाहता हूं कि कृपया अपने को "डैडी" या "डेड" कहना छोड़ दे। पिता हमारे लिए सब कुछ है वो हमारे लिए आदर्श और आदरणीय है,उन्हें सम्मानजनक शब्दो से संबोधित करे।
यदि किसी को मेरी बात का बुरा लगा हो हो माफ करें
धन्यवाद

Thursday 5 July 2018

आयुर्वेद

यदि आप भी मर्दाना कमजोरी से जूझ रहे है और मर्दाना कमजोरी दूर करने का कोई नया उपाय खोज रहे है तो इसका जबाब आज आपको मिल जायेगा।कई बार कुछ अंदरूनी या बाहरी कारणों से मर्दानगी में कमी हो जाती है जो पुरुषों के लिए चिंता का विषय बन जाता है। कई बार पुरुषों में पाई जाने वाली शारीरिक कमजोरियां अस्वस्थ संबंधों का कारण बन जाती हैं पर आयुर्वेद में इन समस्याओं के बहुत सारे उपाय दिए गए है। तो चलिए आज जान लेते है कुछ उपाय-

(1 )लहसुन- 6से 7 लहसुन की  फलियां ले और उसे देसी घी मे तलकर प्रतिदिन खाने से नपुंसकता नष्ट हो जाती है, काम शक्ति बढ़ती है।
(2) 200gm लहसुन का छिलका उतार कर उसे पीस ले ओर उसको एक शीशी में भर ले ओर उसके साथ 600gm शहद भी उसमे मिला ले। अब उस शीशी को गेहूं के ढेर या भूसे मे दबा दे । एक माह बाद निकाल कर 15gm सुबह और शाम उसका सेवन कर गरम दूध पिये। यह प्रयोग एक माह तक करे इससे बल और वीर्य बढेगा।

खुद को परखें

(1)...मई 2015 में 14वां एशिया सुरक्षा शिखर समेलन कहाँ आयोजित हुआ?      उत्तर---- सिंगापुर में। (2)...क्रिकेट इतिहास का पहला डे-नाईट टेस्ट ...